भारत केवल शहरों और उनकी चमक-धमक तक सीमित नहीं है। यह देश गांवों की मिट्टी में बसी अपनी जड़ों, संस्कृति, और प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां ऐसे कई गांव हैं जो किसी विदेशी पर्यटन स्थल से कम नहीं लगते। ये गांव न केवल सुंदरता और शांति का प्रतीक हैं, बल्कि अपने अनोखे रीति-रिवाजों, परंपराओं और हरियाली से लोगों को आकर्षित करते हैं। इस लेख में हम आपको भारत के 10 ऐसे गांवों के बारे में बताएंगे जो आपके पर्यटन अनुभव को अनोखा बना देंगे।
1. मावलिननोंग, मेघालय
मावलिननोंग, जिसे ‘गॉड्स ओन गार्डन’ भी कहा जाता है, मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले में स्थित है। 2003 में इसे ‘एशिया का सबसे स्वच्छ गांव’ घोषित किया गया था। यहाँ के लोग सफाई और पर्यावरण संरक्षण के प्रति बेहद जागरूक हैं।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: गुवाहाटी हवाई अड्डा निकटतम है।
- रेल मार्ग: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग: शिलॉन्ग से यह गांव 90 किलोमीटर दूर है और टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
क्यों खास है:
यह गांव स्वच्छता के लिए प्रसिद्ध है। हर घर के बाहर बगीचे हैं और सड़कों पर कहीं भी कचरा देखने को नहीं मिलता। यहां के लोग बांस की टोकरियों में कचरा डालते हैं, और पूरा गांव जैविक कचरे का उपयोग करता है।
क्या करें:
- लिविंग रूट ब्रिज की सैर करें, जो पेड़ों की जड़ों से बने अद्भुत प्राकृतिक पुल हैं।
- गांव के बगीचों और फूलों का आनंद लें।
- खासी व्यंजन चखें।
क्या न करें:
- प्लास्टिक कचरा फेंकने से बचें।
- स्थानीय रीति-रिवाजों का उल्लंघन न करें।
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2. मरायूर, केरल
केरल के इडुक्की जिले में स्थित मरायूर एक शांत और सुरम्य गांव है, जो अपने प्राकृतिक सुंदरता, चंदन के जंगलों, और प्राचीन डोलमेन (पत्थरों की प्राचीन कब्रें) के लिए प्रसिद्ध है। यह गांव मुन्नार से 40 किलोमीटर की दूरी पर है और अपने अनोखे इतिहास और संस्कृति के लिए जाना जाता है।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम है, जो मरायूर से लगभग 140 किलोमीटर दूर है।
- सड़क मार्ग: मुन्नार से सड़क मार्ग के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन है।
क्यों खास है:
मरायूर अपनी चंदन की लकड़ी के जंगलों के लिए प्रसिद्ध है, जो केरल में अद्वितीय हैं। यहां के डोलमेन प्राचीन मानव सभ्यता के अवशेष हैं, जो हजारों साल पुराने माने जाते हैं। मरायूर के आस-पास के गन्ने के खेत और शहद उत्पादन भी इसे खास बनाते हैं।
क्या करें:
- चंदन के जंगलों की सैर करें और वन्यजीवों को निहारें।
- डोलमेन और प्राचीन पेंटिंग्स का अध्ययन करें।
- मरायूर के गन्ने से बने गुड़ का स्वाद लें।
- चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य का दौरा करें, जो मरायूर से करीब 15 किलोमीटर दूर है।
क्या न करें:
- चंदन के पेड़ों को नुकसान पहुंचाने से बचें।
- वन्यजीव अभयारण्य में शोरगुल न करें।
- प्राकृतिक स्थलों पर प्लास्टिक और कचरा न फैलाएं।
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3. मलाना, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बसा मलाना गांव अपनी अलग संस्कृति और स्वायत्त कानून व्यवस्था के लिए जाना जाता है। इसे ‘भारत का प्राचीन लोकतंत्र’ भी कहा जाता है।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: भुंतर हवाई अड्डा निकटतम है।
- सड़क मार्ग: कसोल से लगभग 4 घंटे की ट्रेकिंग के जरिए पहुंचा जा सकता है।
क्यों खास है:
यह गांव अलग-थलग रहता है और यहां के लोग बाहरी दुनिया से कम संपर्क में रहते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, स्थानीय मंदिर, और प्रसिद्ध ‘मलाना क्रीम’ इसे खास बनाते हैं।
क्या करें:
- मलाना देवी मंदिर का दर्शन करें।
- पार्वती घाटी के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें।
क्या न करें:
- गांव के निवासियों को छूने या उनकी संपत्ति का उपयोग करने से बचें।
- गांव की परंपराओं का उल्लंघन न करें।
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4. जुलुक, सिक्किम
सिक्किम के पूर्वी हिस्से में स्थित जुलुक गांव अपनी अद्भुत ज़िगज़ैग रोड और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: बागडोगरा हवाई अड्डा निकटतम है।
- सड़क मार्ग: गंगटोक से टैक्सी के जरिए पहुंचा जा सकता है।
क्यों खास है:
यह गांव समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढकी चोटियों और सुंदर घाटियों के अद्भुत नजारे इसे विशेष बनाते हैं।
क्या करें:
- ज़िगज़ैग रोड पर ड्राइव करें।
- कंचनजंगा का सूर्योदय देखें।
क्या न करें:
- ऊंचाई पर ज्यादा मेहनत करने से बचें।
- बर्फीले इलाकों में बिना गाइड के न जाएं।
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5. कासौल, हिमाचल प्रदेश
पार्वती घाटी के मध्य स्थित कासौल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बसा एक छोटा लेकिन प्रसिद्ध गांव है। इसे ‘मिनी इज़राइल’ कहा जाता है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में इज़राइली पर्यटक आते हैं।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: भुंतर हवाई अड्डा निकटतम है, जो कासौल से लगभग 31 किलोमीटर दूर है।
- सड़क मार्ग: दिल्ली और चंडीगढ़ से बस द्वारा भुंतर पहुंचा जा सकता है, और वहां से टैक्सी लेकर कासौल जाया जा सकता है।
क्यों खास है:
कासौल अपने हिप्पी कैफे, रंगीन बाजार, और पार्वती नदी के किनारे बसे शांत वातावरण के लिए मशहूर है। यह गांव बैकपैकर्स और ट्रेकिंग के शौकीनों का स्वर्ग है।
क्या करें:
- तोश और खीरगंगा ट्रेकिंग पर जाएं।
- पार्वती नदी के किनारे लंबी सैर करें।
- स्थानीय हिप्पी कैफे में लजीज व्यंजनों का आनंद लें।
क्या न करें:
- पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों से बचें।
- नदी के किनारे कचरा न फेंके।
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6. पंगोंग गांव, लद्दाख
पंगोंग त्सो झील के पास स्थित यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह लद्दाख क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: लेह हवाई अड्डा निकटतम है।
- सड़क मार्ग: लेह से 5-6 घंटे की यात्रा कर पंगोंग पहुंचा जा सकता है। रास्ता बेहद दर्शनीय और रोमांचक है।
क्यों खास है:
पंगोंग झील, जो हर मौसम में अलग-अलग रंगों में दिखती है, यहां का मुख्य आकर्षण है। झील का शांत और सुरम्य वातावरण इसे खास बनाता है।
क्या करें:
- पंगोंग झील के किनारे कैम्पिंग करें।
- सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखें।
- स्थानीय मोमोज और थुपका का स्वाद लें।
क्या न करें:
- झील में कचरा न डालें।
- झील के आसपास शोरगुल न करें।
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7. शेखावाटी, राजस्थान
राजस्थान के झुंझुनू और सीकर जिलों में फैला शेखावाटी गांव अपनी भव्य हवेलियों, चित्रित दीवारों, और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसे ‘राजस्थान का ओपन आर्ट गैलरी’ कहा जाता है। इस गांव का हर कोना आपको इतिहास और कला की एक झलक देता है।
कैसे पहुंचें:
- हवाई मार्ग: जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम है।
- सड़क मार्ग: जयपुर और दिल्ली से यहां के लिए नियमित बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन झुंझुनू है।
क्यों खास है:
यह गांव अपनी हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है, जिनकी दीवारों पर बारीक और रंगीन पेंटिंग्स हैं। इन चित्रों में राजस्थान के राजसी इतिहास, व्यापारिक जीवन, और मिथकों की कहानियां दिखाई देती हैं।
क्या करें:
- मुरारका हवेली, पोद्दार हवेली और हेमराज हवेली जैसी भव्य संरचनाओं की सैर करें।
- स्थानीय बाजारों से राजस्थानी हस्तशिल्प खरीदें।
- पारंपरिक राजस्थानी व्यंजनों जैसे दाल-बाटी-चूरमा का आनंद लें।
क्या न करें:
- ऐतिहासिक संरचनाओं को छूने या नुकसान पहुंचाने से बचें।
- स्थानीय रीति-रिवाजों का अनादर न करें।
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8. अलीबाग, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग गांव मुंबई से करीब 96 किलोमीटर दूर एक लोकप्रिय तटीय स्थल है। यह अपने समुद्र तटों और किलों के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुंचें:
- सड़क मार्ग: मुंबई से 2 घंटे की ड्राइव में यहां पहुंच सकते हैं।
- फेरी मार्ग: मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से फेरी लेकर अलिबाग पहुंच सकते हैं।
क्यों खास है:
यह गांव अपने शांत समुद्र तटों, कोलाबा फोर्ट, और समुद्री खाने के लिए मशहूर है।
क्या करें:
- अलीबाग बीच पर पानी के खेलों का आनंद लें।
- कोलाबा फोर्ट की सैर करें।
- ताजे समुद्री खाने का स्वाद लें।
क्या न करें:
- समुद्र तट पर गंदगी न फैलाएं।
- पानी के खेलों के दौरान सुरक्षा नियमों की अनदेखी न करें।
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9. चित्रकूट, मध्य प्रदेश
चित्रकूट मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित एक धार्मिक गांव है। यह पवित्र नदियों, पर्वतों और गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है, जो रामायण काल से जुड़े हुए हैं।
कैसे पहुंचें:
- रेल मार्ग: सतना और इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा।
- सड़क मार्ग: इलाहाबाद और सतना से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
क्यों खास है:
कामदगिरि पर्वत, गुप्त गोदावरी गुफाएं, और मंदाकिनी नदी के कारण यह धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है।
क्या करें:
- कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करें।
- गुप्त गोदावरी गुफा की सैर करें।
- मंदाकिनी नदी के किनारे बैठकर ध्यान करें।
क्या न करें:
- धार्मिक स्थलों पर अनुचित व्यवहार न करें।
- पवित्र नदी में गंदगी न फैलाएं।
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10. मदिकेरी, कर्नाटक
कूर्ग जिले में स्थित मदिकेरी को ‘स्कॉटलैंड ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है। यह गांव कॉफी के बागानों और ठंडी जलवायु के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुंचें:
- सड़क मार्ग: मैसूर और बेंगलुरु से सड़क मार्ग द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: मैसूर रेलवे स्टेशन निकटतम है।
क्यों खास है:
यहां के कॉफी के बागान, एबी फॉल्स, और दुबारे हाथी शिविर इसे खास बनाते हैं।
क्या करें:
- कॉफी के बागानों का दौरा करें।
- एबी फॉल्स का आनंद लें।
- दुबारे हाथी शिविर में हाथियों के साथ समय बिताएं।
क्या न करें:
- पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों से बचें।
- प्राकृतिक स्थलों पर कचरा न फैलाएं।
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भारत के ये गांव न केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक हैं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर, शांति, और अनोखे अनुभवों का खजाना भी हैं। अगर आप भीड़भाड़ वाले शहरों से दूर सुकून भरे पल बिताना चाहते हैं, तो इन गांवों की यात्रा जरूर करें। ये गांव आपको एक ऐसा अनुभव देंगे, जो आप जीवनभर याद रखेंगे।
