बहुत समय पहले, एक हरा-भरा जंगल था। यह जंगल नदियों, पेड़ों, और हर प्रकार के जानवरों से भरा हुआ था। यहां सभी जानवर खुशी-खुशी रहते थे। पक्षियों की चहचहाहट, हिरणों की दौड़, और बंदरों की शरारतें इस जंगल की खासियत थीं। लेकिन यह खुशी लंबे समय तक टिक नहीं पाई। जंगल में एक बड़ा, खूँखार शेर आ गया, जो अपनी ताकत और डरावनी दहाड़ से पूरे जंगल पर राज करने लगा।
शेर हर दिन जंगल के किसी भी जानवर को अपना शिकार बनाता था। यह क्रम तब तक चलता रहा जब तक सभी जानवरों ने एकजुट होकर इसका हल निकालने का निर्णय नहीं लिया।
एक बड़ी साफ जगह पर जंगल के सभी जानवर इकट्ठा हुए। हाथी, हिरण, खरगोश, बंदर, तोता—सभी परेशान थे। बुजुर्ग हाथी, जिसे सभी समझदार मानते थे, बोला, “अगर हम शेर को रोकने की कोशिश करेंगे, तो वह हमें मार डालेगा। हमें उसे समझाने का कोई तरीका खोजना होगा।”
तोते ने सहमति जताते हुए कहा, “अगर हम हर दिन उसे खाना देंगे, तो शायद वह बाकी जानवरों को छोड़ दे।”
सभी ने इस योजना को मंजूरी दी। अब एक प्रतिनिधि शेर के पास जाने के लिए चुना गया। यह जिम्मेदारी बुजुर्ग हाथी ने खुद ली। हाथी ने शेर से विनती की, “महाराज, हम जानते हैं कि आप जंगल के राजा हैं। लेकिन अगर आप इसी तरह जानवरों का शिकार करते रहेंगे, तो जल्द ही यह जंगल खाली हो जाएगा। हम एक समझौता करना चाहते हैं।”
शेर ने गुस्से से पूछा, “कौन सा समझौता?”
हाथी ने कहा, “हम हर दिन बारी-बारी से एक जानवर को आपके भोजन के लिए भेजेंगे। इस तरह, आपको शिकार करने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन एक शर्त है—आप किसी और जानवर को परेशान नहीं करेंगे।”
शेर हंसा और बोला, “ठीक है, लेकिन याद रखना, अगर मेरा भोजन देर से आया, तो मैं पूरे जंगल को तबाह कर दूंगा
उस दिन से जंगल में एक अजीब-सा डर छा गया। हर जानवर को पता था कि उसकी बारी भी कभी न कभी आएगी। एक-एक करके जानवर शेर के भोजन के लिए भेजे जाने लगे। इस बीच, जानवरों ने एक-दूसरे को सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सच्ची राहत महसूस नहीं कर पाया।
एक दिन बारी आई एक छोटे और चतुर खरगोश की। जब खरगोश को यह खबर मिली कि उसे शेर का शिकार बनने के लिए जाना होगा, तो उसने सोचा, “अगर मैं यूं ही चला गया, तो शेर मुझे खा जाएगा। लेकिन अगर मैं अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करूं, तो शायद मैं अपनी और दूसरों की जान बचा सकूं।”
खरगोश ने एक योजना बनाई। उसने जानबूझकर शेर के पास देर से पहुंचने का निश्चय किया। जैसे ही शेर ने उसे देखा, वह गुस्से से गुर्राया, “तुम इतनी देर से क्यों आए? क्या तुम्हें पता नहीं कि मुझे भूख लगी है?”
खरगोश ने अपनी आवाज को शांत रखते हुए कहा, “महाराज, मुझे खेद है, लेकिन रास्ते में एक बड़ी समस्या आ गई थी।”
शेर ने गुस्से में पूछा, “कौन सी समस्या?”
खरगोश ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “मुझे एक और शेर ने रोक लिया। उसने कहा कि यह जंगल अब उसका है और वह मुझे आप तक पहुंचने नहीं देगा। मैंने उसे बताया कि आप जंगल के सच्चे राजा हैं, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था। उसने मुझे धमकी दी और कहा कि अगर मैंने आपको यह बताया, तो वह मुझे मार देगा।”
शेर यह सुनकर आग बबूला हो गया। उसने दहाड़ते हुए कहा, “उस शेर को कहां देखा? मुझे अभी उसके पास ले चलो!”
खरगोश शेर को एक गहरे कुएं के पास ले गया। उसने कुएं की ओर इशारा करते हुए कहा, “महाराज, वह शेर इस कुएं के अंदर छिपा है। वह आपको चुनौती दे रहा था और कह रहा था कि आप कमजोर हैं।”
शेर गुस्से में कुएं के पास गया और अंदर झांका। जैसे ही उसने कुएं के पानी में अपना प्रतिबिंब देखा, उसे लगा कि यह वही दूसरा शेर है। शेर ने जोर से दहाड़ लगाई, और उसके प्रतिबिंब ने भी वही दहाड़ वापस की।
शेर को लगा कि दूसरा शेर उससे मुकाबला करने के लिए तैयार है। गुस्से में उसने छलांग लगाई और सीधे कुएं में जा गिरा।
खरगोश जंगल के बाकी जानवरों के पास वापस गया और उन्हें शेर के अंत की कहानी सुनाई। सभी जानवर खुशी से झूम उठे। उन्होंने खरगोश की बुद्धिमानी और साहस की प्रशंसा की। उस दिन से जंगल में फिर से शांति और खुशी लौट आई।
शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में ताकत से ज्यादा जरूरी है चतुराई और धैर्य। चाहे हालात कितने भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, सही सोच और रणनीति से हम हर समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
बच्चों के लिए संदेश:
हर समस्या का समाधान ताकत में नहीं, बल्कि बुद्धि और धैर्य में छिपा होता है। हमेशा सोच-समझकर काम करें और कभी हार न मानें।
